जांजगीर-चांपा

बहेराडीह के युवा किसान दीनदयाल यादव ने किया कमाल! “जामुन” की नई किस्म पर भारत सरकार से मिला पेटेंट — गांव का नाम देशभर में रोशन

जांजगीर-चांपा

छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के छोटे से गांव बहेराडीह के युवा किसान दीनदयाल यादव ने अपनी लगन और नवाचार से ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जो न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत बन गया है।

भारत सरकार के पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (Protection of Plant Varieties and Farmers’ Rights Authority – PPV&FRA) ने दीनदयाल यादव द्वारा विकसित जामुन की नई किस्म को पेटेंट प्रदान किया है।

नई किस्म की विशेषताएं

दीनदयाल यादव की विकसित की गई इस जामुन की किस्म को विशेषज्ञों ने कई मायनों में अनूठा बताया है।

इस किस्म में —

पारंपरिक जामुन की तुलना में फल का आकार बड़ा और स्वाद अधिक मीठा है,

बीज छोटे और गूदा अधिक पाया गया है,

पौधे में रोग व कीट प्रतिरोधक क्षमता अधिक है,

कम पानी में भी बेहतर उत्पादन देता है,

और इसकी फलने की अवधि सामान्य जामुन से पहले होती है।

इन विशेषताओं के कारण यह किस्म किसानों के लिए अधिक लाभकारी साबित हो सकती है।

मेहनत और शोध से मिली सफलता

दीनदयाल यादव ने बताया कि उन्होंने इस किस्म पर लगभग 10 वर्षों तक लगातार शोध और प्रयोग किए।

उन्होंने स्थानीय परिस्थितियों, मिट्टी और जलवायु को ध्यान में रखकर पौधों का चयन, परागण तकनीक और बीज संरक्षण की पद्धति विकसित की।

उनका कहना है —

“कृषि मेरे लिए सिर्फ पेशा नहीं, एक प्रयोगशाला है। मैं चाहता था कि हमारे गांव का नाम भी नवाचार के लिए जाना जाए। आज वह सपना पूरा हुआ।”

गांव और जिले में खुशी की लहर

इस सफलता की खबर मिलते ही बहेराडीह गांव और पूरे जांजगीर-चांपा जिले में खुशी की लहर दौड़ गई।

कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह उपलब्धि प्रदेश के किसानों के लिए एक प्रेरक उदाहरण है।

जिला प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने दीनदयाल यादव को सम्मानित करने की घोषणा की है।

कृषि अधिकारी ने कहा —

“दीनदयाल यादव जैसे किसानों ने साबित किया है कि अगर लगन और दृष्टिकोण हो, तो गांव से भी वैश्विक स्तर का नवाचार संभव है।”

 राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता

सरकार की ओर से पेटेंट मिलने के बाद अब यह किस्म “जामुन बहेराडीह-1” के रूप में पंजीकृत की जा रही है।

कृषि अनुसंधान केंद्रों में इसका परीक्षण शुरू होने वाला है, जिसके बाद यह किस्म देशभर के किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह जामुन किस्म फल प्रसंस्करण उद्योग और औषधीय उपयोगों के लिए भी उपयुक्त साबित हो सकती है।

बहेराडीह के युवा किसान दीनदयाल यादव की यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि ग्रामीण भारत में नवाचार और वैज्ञानिक सोच की कोई कमी नहीं है।

उन्होंने न केवल अपने गांव का नाम देशभर में रोशन किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि “आत्मनिर्भर भारत” का सपना गांवों की मिट्टी से ही साकार होगा।

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