जिले की स्वास्थ्य सेवाएं वेंटिलेटर पर— विभाग की गाड़ियाँ बनीं कबाड़!

जांजगीर-चांपा से एक चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है… जहाँ स्वास्थ्य सेवाएं देने वाला खुद का सिस्टम ही बीमार पड़ा है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) कार्यालय, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) जांजगीर के परिसर में एक दर्जन से अधिक सरकारी गाड़ियाँ कबाड़ बनकर खड़ी हैं — और विडंबना यह है कि इनका इलाज खुद स्वास्थ्य विभाग नहीं कर पा रहा है।
कभी ये गाड़ियाँ गांव-गांव तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुँचाने में अहम कड़ी थीं — मरीजों को अस्पताल लाने-ले जाने, दवाइयाँ सप्लाई करने और स्वास्थ्य अभियानों में इनका अहम योगदान रहता था। लेकिन आज ये सभी वाहन जर्जर हालत में खड़े हैं — किसी के टायर पंचर, किसी का इंजन जाम, तो किसी की खिड़कियाँ टूटी हुईं।


कहने को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का उद्देश्य हर नागरिक तक स्वास्थ्य सुविधा पहुँचाना है, लेकिन हकीकत में विभाग की गाड़ियाँ ही बीमार हैं — और उनका “इलाज” करने वाला कोई नहीं।
अगर इन वाहनों की नियमित देखरेख और रखरखाव समय पर किया जाता, तो आज ये गांवों तक ज़रूरी स्वास्थ्य सेवाएँ पहुंचाने में मददगार होतीं। सवाल उठता है — आखिर इतनी गाड़ियाँ कब से खड़ी हैं? और क्या रखरखाव के नाम पर कोई व्यवस्था है भी या नहीं?
फिलहाल ज़िले के मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का वादा तो जरूर किया जाता है, लेकिन जब विभाग की गाड़ियाँ ही बेकार पड़ी हैं — तो इलाज गाँव-गाँव तक पहुँचेगा कैसे?
अब देखना यह है कि क्या प्रशासन इन बीमार गाड़ियों का भी इलाज करेगा,
या फिर ये यूँ ही मरहम के इंतज़ार में कबाड़खाने की शोभा बढ़ाती रहेंगी।
 
				




