“बिजली विभाग की आंख मिचौली!”

जांजगीर-चांपा
शहर में इन दिनों बिजली विभाग की मेंटेनेंस की आड़ में आंख मिचौली का खेल जारी है।
कभी सुबह, कभी दोपहर — कब करंट जाएगा, कोई नहीं जानता!
घर में पंखे बंद, बच्चे हाथ से हवा करते हुए, दुकानदार अंधेरे में —
और लोग इन्वर्टर की बैटरी बचाते हुए दिन काटने को मजबूर।
कहते हैं बिजली जीवन की रेखा है,
लेकिन यहाँ तो विभाग ने इस रेखा को ही डगमगा दिया है।
हर हफ्ते 3–4 बार “मेंटेनेंस” के नाम पर पावर ऑफ कर दिया जाता है।
पर सवाल यह है — आखिर इतनी बार मेंटेनेंस की ज़रूरत क्यों पड़ती है?
क्या मशीन खराब है, या फिर व्यवस्था?
स्थानीय निवासी कहते हैं
“साहब, हर दूसरे दिन बिजली चली जाती है… बोलते हैं ‘मेंटेनेंस!’ अब समझ नहीं आता, मेंटेनेंस हो रहा है या जनता की परीक्षा!”
जनता परेशान, कारोबार ठप, बच्चों की पढ़ाई पर असर —
लेकिन विभागीय अफसरों को शायद इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
कभी तार बदलने के नाम पर, कभी ट्रांसफॉर्मर में फॉल्ट बताकर —
हर बार नया बहाना, और जनता फिर अंधेरे में!
एक महीने में 5–6 बार बिजली कट,
तीन घंटे का मेंटेनेंस और काम आधा अधूरा!




