राष्ट्रीय

भारत समुद्री शक्ति बनने की दिशा में — मुंबई में रणनीतिक मंच शुरू

केंद्र सरकार ने समुद्री अर्थव्यवस्था, पोर्ट-विकास एवं रक्षा-सहयोग पर नया फोकस रखा; पाँच दिवसीय कार्यक्रम में 100 + देशों के प्रतिनिधि होंगे।

मुंबई के एनईएससीओ प्रदर्शनी केंद्र (Bombay Exhibition Centre) में आज से पांच दिनी कार्यक्रम India Maritime Week 2025 का शुभारंभ हुआ। Amit Shah ने उद्घाटन किया और कहा कि भारत अब “मैरिटाइम पावर” बनने की ओर बढ़ रहा है। यह आयोजन उपलब्ध है 27 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक।

प्रमुख बिंदु

इस कार्यक्रम की थीम है “Uniting Oceans, One Maritime Vision” (समुद्रों को जोड़ते हुए, एक सामूहिक दृष्टि)। अनुमान है कि 85 + देशों से उपस्थित होंगे और 100,000 + प्रतिनिधियों के साथ 500 + प्रदर्शक होंगे। कार्यक्रम में पोर्ट विकास, लॉजिस्टिक्स, ग्रीन शिपिंग, डिजिटलाइजेशन, ब्लू इकॉनॉमी, क्रूज़ और टूरिज्‍म जैसे विषयों पर सत्र होंगे। एक बड़ी घोषणा में कहा गया कि भारत एक “$1 ट्रिलियन मैरिटाइम निवेश रोडमैप” की दिशा में अग्रसर है। समुद्री तट-रेखा का महत्व: भारत के तटीय क्षेत्र लगभग 11,000 किमी लंबी है, जिसमें 13 तटीय राज्य/केंद्रशासित प्रदेश शामिल हैं।

रणनीतिक महत्व

भारत की समुद्री अर्थव्यवस्था अब सिर्फ व्यापार-पोर्ट तक सीमित नहीं; यह रक्षा, लॉजिस्टिक्स, सेवा उद्योग, क्रूज़ टूरिज्‍म और ब्लू इकॉनॉमी के माध्यम से विस्तृत हो रही है। Amit Shah ने कहा कि भारत अब “इंडो-पैसिफिक और ग्लोबल साउथ” से जुड़ रहा है। वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत का स्थान मजबूत हो रहा है — निवेश, तकनीकी नवाचार और नीति-संरचना के जरिए इसे एक अभिनव ट्रांसफॉर्मेशन प्रोजेक्ट देखा जा रहा है।प्रमुख तटीय राज्यों एवं केंद्र सरकार के बीच सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) निवेश अवसरों के लिए नया मॉडल प्रस्तुत कर रही है।भारत के लिए यह अवसर है कि वह “गेटवे ऑफ़ इंडिया” से “गेटवे ऑफ़ द वर्ल्ड” बनने की दिशा में कदम बढ़ा सके।

चुनौतियाँ एवं नजर रखने योग्य पहलू

निवेश की योजना जितनी बड़ी, उतनी ही चुनौतियाँ भी — प्रतिद्वंद्वियों देशों में तेजी, पर्यावरणीय एवं सामाजिक प्रश्न, और सतत विकास की जरूरत बनी हुई है।पोर्ट-इन्फ्रास्ट्रक्चर, क्रूज़ उद्योग, अंदरूनी पानी-मार्गों का विकास अभी भी गति ले रहा है, लेकिन इसे तेजी से बढ़ाना होगा।समुद्री सुरक्षा, साइबर-खतरे, लॉजिस्टिक्स चेन की निर्भरताएँ (dependencies) आदि जोखिम बने हुए हैं।

IMW 2025 सिर्फ एक प्रदर्शनी या सम्मेलन नहीं — यह भारत की समुद्री रणनीति और वैश्विक महत्वाकांक्षा का मील-पत्थर है। यदि यह मंच सफल तरीके से निवेश, नवाचार और भागीदारी में परिणित होता है, तो आने वाले वर्षों में भारत की भूमिका दुनिया के समुद्री मानचित्र पर और मजबूत होगी।

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