नेपाल सरकार का बड़ा यू-टर्न: सोशल मीडिया पर से प्रतिबंध हटा, जानिए क्या हुआ?

सरकार ने पलटा फैसला: अब सोशल मीडिया पर खुल कर बोलें!-हाल ही में नेपाल सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया जिसने सबको चौंका दिया। सोमवार की रात को, सरकार ने सोशल मीडिया पर लगाए गए बैन को हटाने का ऐलान कर दिया। यह फैसला कैबिनेट की एक आपातकालीन बैठक के बाद लिया गया। सूचना, प्रसारण और संचार मंत्री, पृथ्वी सुब्बा गुरूंग ने बताया कि सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को फिर से चालू करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। पहले सरकार ने फेसबुक और ‘X’ (जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) सहित 26 सोशल मीडिया साइट्स पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन जब देश भर में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए और हालात बेकाबू होने लगे, तो सरकार को अपना यह कड़ा कदम वापस लेना पड़ा। यह दिखाता है कि जनता की आवाज को अनसुना करना कितना मुश्किल हो सकता है।
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यहाँ क्लिक करें‘Gen Z’ का जलवा: युवाओं के गुस्से ने बदली सरकार की चाल!-इस बार नेपाल के युवाओं, खासकर ‘Gen Z’ पीढ़ी ने अपनी ताकत का अहसास कराया। संसद के बाहर युवाओं का गुस्सा साफ दिख रहा था, और उन्होंने बड़े पैमाने पर आंदोलन किया। उनकी मुख्य मांग थी कि सोशल मीडिया को तुरंत बहाल किया जाए, क्योंकि उनके लिए यह बातचीत करने और अपनी बात रखने का सबसे अहम ज़रिया है। युवाओं के इसी दबाव के आगे सरकार को झुकना पड़ा और आखिरकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को दोबारा चालू करने का फैसला लेना पड़ा। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि आज की युवा पीढ़ी अपनी आवाज़ उठाने से पीछे नहीं हटती और अपने अधिकारों के लिए खड़ी होती है।
संसद परिसर तक पहुंचा बवाल: हालात हुए बेकाबू!-सोमवार को स्थिति तब और बिगड़ गई जब कुछ प्रदर्शनकारी किसी तरह संसद परिसर के अंदर तक पहुँचने में कामयाब हो गए। पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए वॉटर कैनन, आंसू गैस और यहां तक कि गोलियां चलाने तक का सहारा लेना पड़ा। इस वजह से माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया और देखते ही देखते हालात पूरी तरह से हिंसक हो गए। गुस्साई भीड़ और पुलिस के बीच हुई इस भिड़ंत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। यह दिखाता है कि जब लोगों का सब्र जवाब दे जाता है, तो स्थिति कितनी गंभीर हो सकती है।
खूनी संघर्ष में 19 की मौत, सैकड़ों घायल: एक काला दिन!-सोमवार का दिन नेपाल के इतिहास में एक दुखद दिन के रूप में दर्ज हो गया। इस हिंसक प्रदर्शनों और झड़पों में कम से कम 19 लोगों की जान चली गई और 300 से ज़्यादा लोग घायल हो गए। ये आंकड़े बताते हैं कि विरोध कितना गंभीर और खतरनाक रूप ले चुका था। सरकार को न केवल अपने सोशल मीडिया बैन के फैसले पर फिर से विचार करना पड़ा, बल्कि बिगड़ते हालात को संभालने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था भी करनी पड़ी। यह घटना सरकार के लिए एक गंभीर चेतावनी थी कि जनता की भावनाओं को नज़रअंदाज़ करना भारी पड़ सकता है।
गृहमंत्री ने दिया इस्तीफा: क्या सरकार में थी असहमति?-इस पूरी हिंसक घटना के बाद नेपाल की राजनीति में भी भारी उथल-पुथल मच गई। देश के गृहमंत्री, रमेश लेखक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस इस्तीफे को इस बात से जोड़ा जा रहा है कि सरकार शायद हालात को प्रभावी ढंग से संभालने में नाकाम रही। इस इस्तीफे से यह भी संकेत मिलता है कि सरकार के भीतर भी इस विवादास्पद फैसले और उसके नतीजों को लेकर एक राय नहीं थी। यह राजनीतिक अस्थिरता को भी दर्शाता है।
खुशखबरी! सोशल मीडिया फिर से चालू: अब करें खुलकर बात!-सरकार के इस बड़े यू-टर्न के बाद, अब फेसबुक, ‘X’, व्हाट्सऐप और अन्य सोशल मीडिया साइट्स फिर से चालू हो गई हैं। जैसे ही ये प्लेटफॉर्म्स लोगों के लिए उपलब्ध हुए, लोगों ने तुरंत अपनी खुशी और नाराजगी दोनों ही सोशल मीडिया पर ज़ाहिर करनी शुरू कर दी। यह इस बात का एक मजबूत सबूत है कि आज की युवा पीढ़ी के लिए सोशल मीडिया सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह अपनी बात कहने, अपनी राय रखने और दूसरों से जुड़ने का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी बन चुका है।
नेपाल के लिए एक बड़ा सबक: युवाओं की आवाज़ अनमोल!-इस पूरे घटनाक्रम से नेपाल सरकार के लिए एक बहुत बड़ा सबक सीखने को मिला है। युवाओं की आवाज़ को नज़रअंदाज़ करना या उन्हें दबाने की कोशिश करना बिल्कुल भी आसान नहीं है। सोशल मीडिया पर इस तरह का प्रतिबंध लगाना न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है, बल्कि इससे जनता का सरकार पर भरोसा भी कम हो सकता है। सरकार का यह कदम स्पष्ट रूप से दिखाता है कि भविष्य में कोई भी नीति या फैसला लेने से पहले, लोगों की ज़रूरतों, उनकी भावनाओं और उनकी आवाज़ को समझना बेहद ज़रूरी है।