बलरामपुर
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धर्म और आस्था के बीच शराब का ठिकाना — जनता की आवाज़ के आगे झुका प्रशासन

छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में सेंदुर नदी के किनारे खुले शराब दुकान को लेकर मचा विवाद अब थम गया है। स्थानीय लोगों के विरोध और धार्मिक भावनाओं के सम्मान में प्रशासन ने अंततः शराब दुकान को हटा दिया है।

सेंदुर नदी इस इलाके के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है। हर साल छठ महापर्व पर हजारों श्रद्धालु इसी नदी के तट पर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करते हैं। लेकिन जब इसी पवित्र नदी के किनारे अंग्रेज़ी शराब की दुकान खोली गई, तो लोगों की धार्मिक भावनाएँ आहत हो गईं।

स्थानीय लोगों के अनुसार, शराब दुकान खुलने के बाद नदी तट पर शराब सेवन, बोतलें तोड़ने और कचरा फेंकने जैसी घटनाएँ आम हो गई थीं। महिलाएँ और श्रद्धालु छठ पूजा के दौरान असहज महसूस करने लगे। कई बार आवेदन और निवेदन करने के बाद भी जब सुनवाई नहीं हुई, तो लोगों ने खुलकर विरोध शुरू किया।

जनता के बढ़ते दबाव और विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए प्रशासन को आखिरकार हस्तक्षेप करना पड़ा। धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए शराब दुकान को नदी किनारे से हटाकर दूसरे स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया।

अब सेंदुर नदी का तट फिर से स्वच्छ, शांत और पवित्र वातावरण में लौट आया है। जहाँ पहले शराब की बोतलों की खनक सुनाई देती थी, अब वहाँ छठी मइया के गीत गूंजेंगे।

यह फैसला न केवल श्रद्धालुओं की जीत है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक सशक्त संदेश भी देता है —

“जहां आस्था बसती है, वहां नशे का ठिकाना नहीं हो सकता।”

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