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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा — ‘स्वास्थ्य सेवा राष्ट्रीय विकास की अभिन्न कड़ी है’

गाज़ियाबाद में 1,200-बेड अस्पताल का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति ने निजी-सार्वजनिक भागीदारी व नवाचार पर ज़ोर दिया।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज गाज़ियाबाद के इन्दिरापुरम में स्थित यशोदा मेडिसिटी(1,200 बेड की सुविधाओं वाला निजी अस्पताल) का उद्घाटन किया। उद्घाटन के अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ , स्वास्थ्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।

राष्ट्रपति का बयान

“स्वास्थ्य सेवा राष्ट्रीय विकास की अभिन्न कड़ी है।” उन्होंने कहा कि किसी भी नागरिक को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवा से वंचित नहीं होना चाहिए। उन्होंने निजी स्वास्थ्य-संस्थाओं को सामाजिक उत्तरदायित्व निभाने को कहा — “चिकित्सा कर्तव्य जितना जरूरी है, सामाजिक कर्तव्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है।” उन्होंने उन लोगों को विशेष रूप से याद किया जो आर्थिक दृष्टि से कमजोर हैं, कहा कि उनकी सेहत और जीवन-उत्थान भी राष्ट्रीय विकास में अहम भूमिका निभाते हैं।

उपलब्ध सुधार और विकास

वर्तमान में भारत में चिकित्सा-संस्थान, बिस्तरों, विशेषज्ञ सुविधाओं एवं सूचना-प्रौद्योगिकी आधारित स्वास्थ्यसेवा में तेज वृद्धि देखी जा रही है। राष्ट्रपति ने कहा कि “स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अवसंरचना देशभर में निरंतर विस्तृत हो रही है।” उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में: 42 नए मेडिकल कॉलेज बनाए गए हैं और 2 नए (AIIMS) चल रहे हैं।

चुनौतियाँ और आगे के कदम

यह सुनिश्चित करना बाकी है कि स्वास्थ्य-सेवाएँ सिर्फ शहरों तक सीमित न रहें बल्कि ग्रामीण और दूरदराज़ इलाकों में समान रूप से पहुँचें।निजी एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेक्टर के बीच समन्वय और भागीदारी को और मजबूती देने की आवश्यकता है — रोग-निदान, स्वास्थ्य-प्रौद्योगिकी एवं अनुसंधान में निवेश बढ़ाना होगा।“सभी नागरिकों तक” पहुँच की दिशा में काम करने के लिए मानव संसाधन (डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स) एवं स्वास्थ्य-उपकरणों की संख्या में वृद्धि महत्वपूर्ण है।अस्पतालों तथा अन्य चिकित्सा-संस्थाओं में सामाजिक उत्तरदायित्व (social responsibility) को चिकित्सा-चिकित्सा कार्यों के साथ संतुलित रखना होगा — जैसे कि किफायती इलाज, ग्रामीण outreach आदि।

राष्ट्रपति जी का यह आयोजन सिर्फ एक अस्पताल-उद्घाटन नहीं, बल्कि एक राष्ट्र-विकास संवाद का हिस्सा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि एक स्वस्थ समाज ही “विकसित भारत 2047” का आधार हो सकता है। हमारे सामने चुनौती यही है कि इस दिशा में किए जा रहे निवेश और योजनाएँ जमीन पर असरदार बनें — न कि सिर्फ कब्जे और संख्या के रूप में।

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