भारत की मीडिया व डिजिटल पारिस्थितिकी पर शोध — सात बिंदुओं में सुझाए गए बड़े सुधार

नई दिल्ली
भारत की बदलती डिजिटल मीडिया व्यवस्था पर किए गए एक नए शोध में देश की मीडिया पारिस्थितिकी (Media Ecosystem) के व्यापक सुधार की सिफारिश की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को अब एक संवेदनशील, तकनीक-सक्षम और जवाबदेह मीडिया फ्रेमवर्क की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए।
सात बिंदुओं में सुझाए गए सुधार
शोध में मीडिया और डिजिटल इकोसिस्टम को मज़बूत करने के लिए सात प्रमुख बिंदुओं पर सुधार की आवश्यकता बताई गई है —
1. क्षेत्रीय डिजिटल सशक्तिकरण: क्षेत्रीय भाषाओं में समाचार और सूचना सामग्री को बढ़ावा देना।
2. एआई-आधारित कंटेंट रेगुलेशन: सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फेक न्यूज़ रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग।
3. ‘मीडिया शिक्षा अधिनियम’ की सिफारिश: स्कूल और कॉलेज स्तर पर मीडिया साक्षरता को अनिवार्य करने का सुझाव।
4. लोकल जर्नलिज़्म को प्रोत्साहन: छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में पत्रकारिता के अवसर बढ़ाने पर ज़ोर।
5. डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पारदर्शिता: न्यूज़ पोर्टल्स के लिए सत्यापन और रेगुलेटरी रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता।
6. विज्ञापन नीति में सुधार: सरकार और कॉर्पोरेट विज्ञापनों में पारदर्शी वितरण प्रणाली की माँग।
7. मीडिया कर्मियों की सुरक्षा और प्रशिक्षण: साइबर सुरक्षा व डेटा प्रोटेक्शन प्रशिक्षण को अनिवार्य करने की सिफारिश।
शोध का उद्देश्य
रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य भारत में मीडिया और तकनीक के बीच बढ़ती खाई को पाटना है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, “डिजिटल क्रांति के इस दौर में अगर मीडिया को विश्वसनीय बनाए रखना है, तो तकनीकी नियंत्रण और शिक्षा दोनों समान रूप से आवश्यक हैं।”
यह रिपोर्ट आने के बाद मीडिया इंडस्ट्री में हलचल देखी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे सुझाव अगर नीति में शामिल किए जाते हैं, तो भारत की डिजिटल पत्रकारिता को नई दिशा मिल सकती है।
वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि एआई-रेगुलेशन लागू करने से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी असर पड़ सकता है।
बदलते समय में मीडिया का स्वरूप तेजी से बदल रहा है
ऐसे में यह शोध भारत की मीडिया व्यवस्था के लिए संतुलन और आत्म-संशोधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।



