छत्तीसगढ़

उपराष्ट्रपति चुनाव 2025: NDA बनाम विपक्ष, कौन बनेगा ऊपरी सदन का नया चेहरा?

 उपराष्ट्रपति चुनाव: सीधा मुकाबला, पर माहौल में गरमाई!-देश की सियासत में आजकल उपराष्ट्रपति चुनाव की चर्चा ज़ोरों पर है। एनडीए (NDA) की तरफ से सी.पी. राधाकृष्णन मैदान में हैं, तो वहीं विपक्षी ‘इंडिया’ (INDIA) गठबंधन ने बी. सुदर्शन रेड्डी को अपना उम्मीदवार बनाया है। ये सब तब हो रहा है जब जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। एक दिलचस्प बात यह भी है कि विपक्ष के बड़े नेता राहुल गांधी इस वक्त विदेश में हैं, जिसने राजनीतिक गलियारों में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। मंगलवार को होने वाले इस चुनाव में सभी सांसद वोट डालेंगे और नतीजे उसी दिन शाम तक आ जाएंगे। पूरे देश की नज़रें इस पर टिकी हैं कि आखिर कौन बनेगा अगला उपराष्ट्रपति।

 एनडीए (NDA) का पलड़ा भारी, विपक्ष की चालें भी देखने लायक-अगर वोटों की गिनती की बात करें तो एनडीए (NDA) के पास स्पष्ट बहुमत है। एनडीए (NDA) के पास कुल 781 वैध वोटों में से करीब 427 सांसदों का समर्थन है, जबकि विपक्षी ‘इंडिया’ (INDIA) गठबंधन के पास लगभग 315 वोट हैं। जीत के लिए 391 वोटों का जादुई आंकड़ा चाहिए। ऐसे में एनडीए (NDA) को स्पष्ट बढ़त मिलती दिख रही है। फिर भी, विपक्ष इसे सिर्फ एक चुनाव नहीं, बल्कि एक “विचारधारा की लड़ाई” कह रहा है। उनका मानना है कि यह सिर्फ उपराष्ट्रपति चुनने का मामला नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करने का मौका है कि संसद सचमुच लोकतंत्र का मंदिर बना रहे।

संसद भवन में दो अलग-अलग खेमे-सोमवार को संसद भवन में एनडीए (NDA) और विपक्ष दोनों ने अपनी-अपनी बैठकें कीं। एनडीए (NDA) की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सांसदों को समझाया कि वोट डालते समय कोई गलती न हो, क्योंकि इससे गलत संदेश जाएगा। उन्होंने राधाकृष्णन को “ज्ञान और अनुभव से भरपूर” बताते हुए उपराष्ट्रपति पद के लिए एक बेहतरीन उम्मीदवार बताया। वहीं, विपक्षी नेताओं ने पुरानी संसद भवन के सेंट्रल हॉल में मिलकर अपने सांसदों को वोट डालने की सही प्रक्रिया समझाई, ताकि किसी का वोट बेकार न जाए।

वोटिंग का खास तरीका और नतीजों का इंतज़ार-उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक नए संसद भवन में होगा। वोटों की गिनती शाम 6 बजे शुरू होगी और रात तक नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे। इस चुनाव की एक खास बात यह है कि सांसद पार्टी के व्हिप से बंधे नहीं होते, यानी वे अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनकर वोट डाल सकते हैं। वोटिंग गुप्त मतपत्र (सीक्रेट बैलेट) से होती है और यह सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम पर आधारित है। पिछली बार कुछ वोट गलत तरीके से डाले गए थे, इसलिए इस बार एनडीए (NDA) और विपक्ष दोनों ने अपने सांसदों को मॉक पोल के ज़रिए सही तरीका समझाया है।

 विपक्ष का भावनात्मक दांव-विपक्षी उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी ने सभी सांसदों से एक खास अपील की है। उन्होंने कहा है कि पार्टी के प्रति वफादारी से ऊपर उठकर देश की आत्मा की आवाज़ सुनें। रेड्डी का कहना है कि यह चुनाव सिर्फ उपराष्ट्रपति चुनने का नहीं, बल्कि यह तय करेगा कि राज्यसभा सचमुच लोकतंत्र का मंदिर बन पाएगी या नहीं। रेड्डी का यह भावनात्मक संदेश विपक्षी खेमे की रणनीति का एक अहम हिस्सा माना जा रहा है। विपक्ष ने सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और शरद पवार जैसे बड़े नेताओं की मौजूदगी से अपनी एकजुटता दिखाने की कोशिश की है।

 39 निर्दलीय सांसदों की भूमिका अहम-इस चुनाव में एक और खास बात यह है कि कुल 39 सांसद ऐसे हैं जो न तो एनडीए (NDA) का हिस्सा हैं और न ही ‘इंडिया’ (INDIA) गठबंधन में। इनमें YSR कांग्रेस ने एनडीए (NDA) उम्मीदवार राधाकृष्णन को समर्थन देने का ऐलान किया है, जबकि AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी ने रेड्डी के पक्ष में वोट करने का फैसला किया है। BJD और BRS जैसी पार्टियों ने वोटिंग से दूरी बनाने की बात कही है। शिरोमणि अकाली दल ने तो चुनाव का बहिष्कार ही कर दिया, उनका कहना है कि बाढ़ से प्रभावित पंजाब को पर्याप्त मदद नहीं मिली। ऐसे में इन निर्दलीय सांसदों का फैसला नतीजों पर असर डाल सकता है।

 उम्मीदवारों का परिचय और अनुभव-सी.पी. राधाकृष्णन, जिनकी उम्र 67 साल है, दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उनकी सक्रिय भूमिका रही है। वे तमिलनाडु में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं और उन्हें एक अनुभवी, ईमानदार और संगठनात्मक पकड़ वाले नेता के तौर पर जाना जाता है। वहीं, बी. सुदर्शन रेड्डी, जो 79 साल के हैं, सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज हैं और कई अहम फैसलों के लिए जाने जाते हैं। ब्लैक मनी की जांच और सलवा जुडूम जैसे मामलों पर उनके फैसले काफी चर्चा में रहे हैं। इसलिए, उन्हें एक सख्त लेकिन निष्पक्ष छवि वाला उम्मीदवार माना जा रहा है।

 नतीजों पर टिकी सबकी निगाहें-इस बार का उपराष्ट्रपति चुनाव भले ही संख्या बल के हिसाब से एनडीए (NDA) के पक्ष में दिख रहा हो, लेकिन विपक्ष ने इसे ‘विचारधारा बनाम सत्ता’ का मुद्दा बनाकर काफी दिलचस्प बना दिया है। नतीजे चाहे जो भी आएं, यह तय है कि यह चुनाव भारतीय राजनीति की आने वाली दिशा और विपक्ष की रणनीति को तय करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। सभी की निगाहें आज शाम घोषित होने वाले नतीजों पर हैं।

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